|
Host Your
Catalogue
FREE on Global Book Shop We won't sell your books. We shall post your Book link
and Global
Book Shop
|
Instant help :- facebook.com/doctorkc 01142316457, 9810570740 |
||
| DoctorKC Medical Books
All books are available on Googleplay, mostly for Rs50 each. In case of problem, please message at facebook.com/doctorkc for Free Download Link, All Other Books We have Sale Agencies of Amazon, Flipkart, Abebooks, More marketplaces. You may compare price of Book on all marketplaces on one site. Please visit ukmall.net and find your book. Choose Marketplace. Make payment or opt for CASH ON DELIVERY. Books are sold by marketplaces on their own terms. We have no role in Booking, Supply or Returns. Book Not Found Please message at facebook.com/doctorkc and try again after an hour during day time. |
Book Not Found?
Please
message Book Title and Author name on
9810570740, 9810571993 facebook.com/doctorkc
and try again after an hour.
ALL BOOKS Any Language
Any Subject
|
Semen Fructose Estimation Kit for Animals and Man
Stable
Indole 3-Acetic Acid Reagent
Developed by Dr K Chaudhry Provided FREE for Research Projects. Literature at : indianmedical.net/fructose |
|
| Shop Books at :- | Flipkart
|
AmazonIndia
AmazonUSA |
Abebooks
BookDepository |
Shopclues
Betterworld |
EbooksCom
SpringerShop |
BiggerBooks
Ecampus |
![]() |
अमृता
प्रीतम जन्मतिथि : 31 अगस्त, 1919 जन्मस्थान : गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) प्रकाशित कृतियाँ : उनके हस्ताक्षर, ना राधा ना रुक्मणी, कम्मी और नंदा, रतना और चेतना (उपन्यास); दस प्रतिनिधि कहानियां, अलिफ लैला : हजार दास्तान, कच्चे रेशम सी लड़की (कहानी-संग्रह); रसीदी टिकट (आत्मकथा); खामोशी से पहले (कविता-संग्रह) मेरे साक्षात्कार (सं० : अस्मा सलीम तथा श्याम सुशील), मन मंथन की गाथा (सं० : इमरोज) (साक्षात्कार/लकरीरें); एक थी सारा, काया के दामन में, शक्तिकणों की लीला, काल-चेतना, अज्ञात का निमंत्रण, सितारों के संकेत, सपनों की नीली सी लकीर, अनंत नाम जिज्ञासा (आध्यात्मिक सत्यकथाएँ); सितारों के अक्षर किरनों की भाषा, मन मिर्जा तन साहिबाँ, अक्षर कुण्डली, वर्जित बाग की गाथा (सं० : अमृता प्रीतम), बेवतना (सं० : अमृता प्रीतम) (चिंतन/संस्मरण/रेखाचित्र आदि)। पुरस्कार-सम्मान : साहित्य अकादेमी पुरस्कार 'सुनेहड़े' (कविता-संग्रह : 1956), भारत के राष्ट्रपति द्वारा पदमश्री सम्मान (1969), भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार 'कागज ते कैनवस' (कविता-संग्रह : 1981) तथा पदमबिभूषण सम्मान (2004) के अलावा अन्य बहुत-से पुरस्कारों-सम्मानों से अलंकृत । |
![]() |
Ashak
Bhaur Faqir Te Nag Kale - Part 2 by Amrita Pritam
PUNJABI Rs350 |
|
|
|
|
|
![]() |
Kiramchi
Lakiran by Amrita Pritam PUNJABI Rs350 |
|
|
|
|
|
![]() |
Tervan
Suraj Te Uninjvan Din by Amrita Pritam URDU Rs300 |
|
|
|
|
|
|
Mitti
Di Zat by Amrita Pritam PUNJABI Rs400 |
|
|
|
|
|
|
Uh
Aurat by Amrita Pritam PUNJABI Rs300 |
|
|
|
|
|
|
Man
Manthan Ki Gaatha by Amrita Pritam HINDI Rs275 |
|
|
|
|
|
|
Ratna
- Benu Te Urshi by Amrita Pritam PUNJABI Rs270 |
|
|
|
|
|
|
Aur
Bansuri Bajti Rahi by Amrita Pritam HINDI Rs250 |
|
|
|
|
|
|
Dr
Dev by Amrita Pritam HINDI Rs250 |
|
|
|
|
|
|
Kache
Resham Si Ladki by Amrita Pritam HINDI Rs250 |
|
|
|
|
|
|
Kal
Chetna by Amrita Pritam PUNJABI Rs250 |
|
|
|
|
|
|
Lal
Dhage Da Rishta by Amrita Pritam PUNJABI Rs250 |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
|
| |
|
|
|
|
|
![]() |
Doctor
Dev Te Kachi Sarak by Amrita Pritam PUNJABI Rs90 |
|
|
|
|
|
![]() |
Die
Man by Amrita Pritam ENGLISH US$10
ISBN: 9789026311130 |
|
|
|
|
|
![]() |
Pinjar : The Skeleton and other stories by Amrita
Pritam ENGLISH Rs350 ISBN:
9788183860970 Brought together in this volume are two of the most moving novels by one of India s greatest women writers The Skeleton and The Man. The Skeleton, translated from Punjabi into English by Khushwant Singh, is memorable for its lyrical style and depth in her writing. Amrita Pritam portrays the most inmost being of the novel s complex characters. The Man is a compelling account of a young man born under strange circumstances and abandoned at the altar of God. |
|
|
|
|
|
![]() |
Dus
Pratinidhi Kahaniyan by Amrita Pritam HINDI Rs80
ISBN: 9788170162155 'दस प्रतिनिधि कहानियाँ' सीरीज़ 'किताबघर' की एक महत्त्वाकांक्षी कथा-योजना है, जिसमें हिन्दी कथा-जगत् के सभी शीर्षस्थ कथाकारों को प्रस्तुत किया जा रहा है । इस सीरीज़ में सम्मिलित कहानीकारों से यह अपेक्षा की गई है कि वे अपने संपूर्ण कथा-दौर से उन दस कहानियों का चयन करें जो पाठको, समीक्षकों तथा संपादकों के लिए मील का पत्थर रही हों तथा ये ऐसी कहानियाँ भी हों जिनकी वजह से उन्हें स्वयं को भी कहानीकार होने का अहसास बना रहा हो। भूमिका-स्वरूप कथाकार का एक वक्तव्य भी इस सीरीज़ के लिए आमंत्रित किया गया है, जिसमें प्रस्तुत कहानियों को प्रतिनिधित्व सौंपने की बात पर चर्चा करना अपेक्षित रहा है । 'किताबघर' गौरवान्वित है कि इस सीरीज़ के लिए अग्रज कथाकारों का उसे सहज सहयोग मिला है। इस सीरीज़ के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कथाकार अमृता प्रीतम ने प्रस्तुत संकलन में अपनी जिन दस कहानियों को प्रस्तुत किया है, वे हैं : 'बृहस्पतिवार का व्रत', 'उधड़ी हुई कहानियाँ', 'शाह की कंजरी', 'जंगली बूटी', 'गौ का मालिक', 'यह कहानी नहीं', 'नीचे के कपड़े', 'पाँच बरस लम्बी सड़क', 'और नदी बहती रही' तथा 'फैज की कहानी'। हमें विश्वास है कि इस सीरीज़ के माध्यम से पाठक सुविख्यात कथाकार अमृता प्रीतम की प्रतिनिधि कहानियों को एक ही जिल्द में पाकर सुखद पाठकीय संतोष का अनुभव करेंगें । |
|
|
|
|
|
![]() |
Man
Mirza Tan Sahiban by Amrita Pritam HINDI Rs90
ISBN: 9788170160588 रतना उनकी कहानी उपन्यास की नायिका है। इस उपन्यास के पास आए दिन होने वाली घटनाओं की जमीन है, लेकिन इसकी इमारत को जिस पहलू ने आबाद किया है, उसे मेरी कल्पना ने गढ़ा और तराशा है... इस उपन्यास के आधार पर 1976 में ‘डाकू’ नाम की एक फिल्म बनी थी। चेतना सागर और सीपियाँ उपन्यास की नायिका है। यह उपन्यास उस भयानक यथार्थ को लिए हुए है, जिसकी जमीन पर ऐसी घटनाएँ होती हैं, जो मन के फूलों को पनपने नहीं देतीं। लेकिन इसी उपन्यास में किसी की वह चेतना भी सामने आती है, जो अपनी जिंदगी के सवाल को अपने हाथ में ले लेती है... इस उपन्यास पर आधारित 1975 में ‘कादम्बरी’ नाम से एक फिल्म बनी थी। |
|
|
|
|
|
![]() |
Khaamoshi
Se Pahale by Amrita Pritam HINDI Rs120
ISBN: 9788170164746 वो ख़ामोशी की नदी मेरी याद में बहती हंै और इस किनारे की छाती में जब दूसरे किनारे का इश्क धड़कता और बिरहा रगों में चलता मैं उठकर नदी पर जाती हूं अक्षरों का सेतु बनाती हूं पर सेतु पर खड़ी होती हूं तो न कोई आर दिखता हैन कोई पार दिखता है। |
|
|
|
|
|
![]() |
Alif
Laila Hazar Dastan by Amrita Pritam HINDI Rs120
ISBN: 9788170164142 |
|
|
|
|
|
![]() |
Kaaya
Ke Daaman Mein by Amrita Pritam HINDI Rs125
ISBN: 9788170164623 एक प्राचीन गाथा कहती हूँ कि अत्रि ऋषि जब अग्निवेश को काया तंत्र क्य रहस्य बता रहे थे, तो उन्होंने कहा- 'कालगणना से चार युग कहे जाते हैं, वही चार युग इन्सान की काया में होते हैं... जन्म के साथ इंसान जो मासूमियत लिए हुए होता है, एक बीज से फूल की तरह खिलती हुई मासूमियत, जो समय सतयुग होता है... अग्निवेश खिले हुए मन से ऋषि की ओर देखने लगे तो ऋषि बोले-'इंसान की ज़वानी जो सपनों में सितारे की गलियों में चली जाती है, वे त्रेता युग होता है…” … अग्निवेश का चेहरा गुलाबी से रंग का हो गया जो ऋषि मुस्काए, कहने लगे-'और जब उम्र पक जाती है, मन-मस्तक से ज्ञान की लौ झलकने लगती है, तो वहीं द्वापर युग होता है...' इतना कहने के बाद ऋषि खामोश हो गए तो अग्निवेश ने पूछा-'महाऋषि ! फिर कलियुग कौनसी अवस्था होती है ?' उस समय अवि ऋषि ने कहा-'तन और मन में जब विकार भी है, काम, क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या और भय पैदा होते हैं- वही कलिकाल की बेला है ।' |
|
|
|
|
|
![]() |
Anant
Naam Jigyasa by Amrita Pritam HINDI Rs140
ISBN: 9788170163954 जाने किस-किस काल के स्मरण इंसान के अंतर में समाए हुए होते हैं, और जब कुदरत उनको किसी रहस्य में ले जाती है, तो इस जन्म की जाति और मजहब बीच में हायल नहीं होते… इसी से मन में आया कि जो लोग अपनी आपबीती कभी नहीं लिखेंगे, उनके इतने बड़े अनुभव, उन्हीं की कलम से लेकर सामने रख सकूँ … ओशो याद आए, जो कहते हैँ- 'अगर आप लोग मुझसे कोई प्रश्न न पूछते, तो मैं खामोश रहता, मुझे किसी को कुछ भी कहना नहीं था, यह तो आप लोग पूछते है, तो इतना बोल जाता हूँ...' ओशो ने जो इतना बड़ा ज्ञान दुनिया को दिया है, वह सब उनकी खामोशी में पड़ा रहता, अगर लोग उन्हें प्रश्न-उत्तर के धरातल पर न ले आते... यही धागा हाथ में आया, तो मैंने अपनी पहचान वालों के सामने कितने ही प्रश्न रख दिए । बातचीत की सूरत में कुछ लिखने के लिए नहीं, केवल उनकी खामोशी को तोड़ने के लिए । इसीलिए मैं यहीं कई जगह अपने किसी प्रश्न को सामने नहीं रख रही, लेकिन जवाब में जो उन्होंने कहा, या लिखकर दिया, वही पेश कर रही हूँ । |
|
|
|
|
|
![]() |
Unke
Hastakshar by Amrita Pritam HINDI Rs140
ISBN: 9788170161189 ० एक लम्बा रास्ता गुजर गया, जब एक उपन्यास लिखा था, डॉक्टर देव । अब चालीस साल के बाद जब मैंने उसे फिर से देखा, लगा-उसका हिन्दी अनुवाद अच्छा नहीं हुआ है । मन में आया, अगर उसका अनुवाद मैं अब स्वयं करूँ, तो उसकी रगों में कुछ धड़कने लगेगा और यही जब करने लगी, तो बहुत कुछ बदल गया । ० इसी तरह एक मुद्दत हो गई, एक उपन्यास लिखा था…'घोंसला' । प्रकाशित हुआ तो बाद में किफायती संस्करण 'नीना' नाम से चलता रहा । आज उसे देखकर लगा कि वह उस कदर पुख्ता नहीं हो पाया था, जो होना चाहिए था । और उसी को अब फिर से लिखा है, जिससे वह सघन भी हो पाया है और पुख्ता भी । ० इसी तरह कभी एक कहानी लिखी थी ‘पाँच बहनें-और उस कहानी को लेकर जब किसी ने फिल्म बनाने की बात की, तो मैंने कहानी को फिर से देखा । अहसास हुआ कि इस जमीन पर जो कहा जा सकता था, वह कहानी में नहीं उतर पाया था। यह अहसास कुछ इस तरह मेरा पीछा करने लगा कि एक दिन मुझे पकड़कर बैठ गया । कुछ और मसले भी थे, जो कहानी में नहीं आ पाए थे । और उन सबको लेकर पाँच की जगह सात श्रेणियों के किरदार सामने रखे और उन सबको कागज़ पर उतार दिया । अब उसे नाम दिया है-उनके हस्ताक्षर' । |
|
|
|
|
|
![]() |
Na
Radha Na Rukamani by Amrita Pritam HINDI Rs140
ISBN: 9788170166269 आज हरकृष्ण को अपना वह सपना याद आया तो लगा—इंसान ने सचमुच कभी इन्सान लफ़ज़ के अर्थ के नहीं जाना, और न उसने कभी धर्म लफ़ज़ के अर्थ को जाना है— और उसी सांस में हरकृष्ण को अहसास हुआ कि इंसान ने अभी तक रिश्ता लफ़ज़ की भी थाह नाते पाई है... रिश्ता लहू के कौन-कौन से तार से जुड़ता है, लोगों को सगा कर जाता है, और कौन-कौन से तार से उखड़कर लोगों को पराया कर जाता है, कुछ भी हरकृष्ण की पकड़ में नहीं आया । लेकिन जिंदगी को सुनी हुई और भुगती हुई कुछ हकीकतें थी जो उसके सामने एक खुली किताब की तरह थीं— |
|
|
|
|
|
![]() |
Sitaron
Ke Akshar Aur Kirno Ki Bhasha by Amrita Pritam
HINDI Rs150 ISBN: 9788170167587 यूँ तो कुदरत की यह इबारत कई तरह के कागजों पर लिखी मिलती है- इन्सान के हाथ-पैरों से लेकर उसके नख-शिख को भी वह कागजों की तरह इस्तेमाल करती है और धूप-छांव की हर गर्दिश में से गुजरती हुई वह पशुओं-पंछियों की आवाजों तक को भी अपने कागज बना लेती है । पर उसके विज्ञान को एक खास पहलू से जानने के लिए, मैंने सिर्फ वह कागज चुने- इन्सान की सोई हुई आँखो के सपने, जिन पर कुदरत की लिखी हुई इबारत को हर इंसान देखता है, पर पढने में समर्थ नहीं होता ... |
|
|
|
|
|
![]() |
Kaal
Chetna by Amrita Pritam HINDI Rs150
ISBN: 9788170162865 एक बरस में सूरज के हिसाब से बारह महीने होते हैं, लेकिन चन्द्रमा के हिसाब से तेरह महीने होते हैं । सूरज बाह्यमुखी शक्ति का प्रतीक है और चन्द्रमा अन्तर्मुखी शक्ति का । सूर्य शक्ति मर्द शक्ति गिनी जाती है और चन्द्र शक्ति स्त्री शक्ति । दोनों शक्तियां स्थूल शक्ति और सूक्ष्म शक्ति की प्रतीक है । अन्तर की सूक्ष्म चेतना, जाने कितने जन्मों से, इंसान के भीतर पडी पनपती रहती है । यह अपने करम से भी बनती-बिगड़ती है और पिता-पितामह के करमों से भी ।' हमारे अपने देश में, कई जातियों में एक बहीं रहस्यमय बात कही जाती है, हर बच्चे के जन्म के समय, कि बिध माता, तुम रूठकर आना और मानकर जाना । इसका अर्थ यह लिया जाता है कि बिध माता, किस्मत को बनाने वाली शक्ति, जब अपने प्रिय से रूठकर आती है, तो बहुत देर बच्चे के पास बैठती है और आराम से उसकी किस्मत की लकीरें बनाती मैं समझती हूँ कि बिध माता की यह गाथा बहुत गहरे अर्थों में है कि वह जब किस्मत की लकीरें बनाने लगे तो साइकिक शक्ति को न भूल जाए । पश्चिम की गाथा में जो तेरहवीं थाली परसने का इशारा है, ठीक वही पूरब की गाथा में साइकिक शक्तियों से न रूठने का संकेत है । यह पुस्तक भी तेरहवीं थाली में कुछ परसने का यत्न है । |
|
|
|
|
|
![]() |
Sitaron
Ke Sanket by Amrita Pritam HINDI Rs150
ISBN: 9788170161424 अमृता प्रीतम द्वारा समय-समय पर देखे हुए सपनों की जो व्याख्याएँ प्रसिद्ध स्वप्न विज्ञानवेत्ता एवं ज्योतिषाचार्य श्री राज ने अमृता जी भेंटवार्त्ता के दौरान की थीं, उन्हीं का लेखा-जोखा प्रस्तुत पुस्तक 'सितारों के संकेत’ में दर्ज है। सितारों के हिसाब से और ग्रहचाल की गणनानुसार अमृता जी के सपनों 'से मम्बन्धित जन्म-कुंडलियाँ भी पुस्तक में अंकित हैं जिनमें आचार्य राज का विशाल ज्योतिष-ज्ञान उजागर होता है। अमृताजी ने आचार्य जी के साथ हुई समस्त भेंटवार्त्ताओं को अपनी चिर-परिचित भाषा-शैली में औपन्यासिक गति से लेखनीबद्ध किया है। भक्ति योग, साधना योग, ज्ञान योग और कर्म योग की व्याख्या में उतरते हुए आचार्य राज, सितारों के संकेत देखकर जो कहते रहे, अमृता प्रीतम की कलम से उसी का ब्योरा यह पुस्तक है। साथ ही जन्म-जन्म के गाथा को भी कुछ पहचानने की कोशिश है । पूर्व जन्म को कुण्डली से भी जो संकेत मिलते हैं, वे किस तरह एक आधार-शिला बनते है, इस गहराई को लिए हुए यह पुस्तक अनंत शक्तियों के दर्शन में उतरती है। |
|
|
|
|
|
![]() |
Akshar-Kundali
by Amrita Pritam HINDI Rs180 ISBN:
9788170160182 'पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे'- यह तो महाचैत्तन्य का अनुभव है । इसके लिए तो मीरा हो जाना होता है । लेकिन जब एक जिज्ञासु ऐसी मंजिल के सम्भावना अपने में नहीं देख माता, तब भी, मैं मानती हूँ कि उसके कान उस रास्ते के ओर लगे रहते है- जहाँ, दूर से मीरा के पाँव में बँधे हुए घुँघरू- उस पुरे रास्ते को तरंगित कर रहे होते है । यह पुस्तक 'अक्षर-कुण्डली' मेरी किसी प्राप्ति की गाथा नहीं है । यह तो एक जिज्ञासु मन की अवस्था है, जिसे कभी-कभी किसी पवन के झोंके मेँ, मिली हुई मीरा के घुंघरुओं की ध्वनि सुनाई देती है... |
|
|
|
|
|
![]() |
Shakti
Kanon Ki Leela by Amrita Pritam HINDI Rs180
ISBN: 9788170163671 सोच की इकाई के तोड़ने की पहली साजिश दुनिया में जाने किसने की थी... बात चाहे जिस्म की किसी काबलियत की हो, या मस्तक की किसी काबलियत की पर दोनों तरह की काबलिया के एक दूसरी की मुखालिफ़ करार देकर, एक को 'जीत गई' और एक को 'हार गई' कहने वाली यह भयानक साजिश थी, जो इकाई के चाँद सूर्य को हमेशा के लिए एक ग्रहण लगा गई... और आज हमारी दुनिया मासूम खेलों के मुकाबले से लेकर भयानक युद्धों के मुकाबले तक ग्रहणित है... पर इस समय मैं जहनी काबलियत के चाँद सूर्य को लगे हुए ग्रहण की बात करूँगी, जिसे सदियों से 'शास्त्रार्थ' का नाम दिया जा रहा है । अपार ज्ञान के कुछ कण जिनकी प्राप्ति होते हैं, वे कण आपस में टकराने के लिए नहीं होते । वे तो एक मुट्ठी में आई किसी प्राप्ति को, दूसरो मुट्ठी में आई किसी प्राप्ति में मिलाने के लिए होते हैं ताकि हमारी प्राप्तियां बड़ी हो जाएँ ... अदबी मुलाकातें दो नदियों के संगम हो सकते है पर एक भयानक साजिश थी कि वे शास्त्रार्थ हो गए... ज्ञान की नदियों को एक-दूसरे में समाना था, और एक महासागर बनना था पर जब उनके बहाव के सामने हार-जीत के बड़े-बड़े पत्थर रख दिए गए, तो वे नदियां सूखने लगीं... नदियों की आत्मा सूखने लगी... जीत अभिमानित हो गई, और हार क्रोधित हो गई... अहम् भी एक भयानक अग्नि है, जिसकी तपिश से आत्मा का पानी सूख जाता है, और क्रोध भी एक भयानक अग्नि है, जो हर प्राप्ति को राख कर देता है... |
|
|
|
|
|
![]() |
Bevatna
& Other Stories by Amrita Pritam HINDI Rs180
ISBN: 9788170165231 |
|
|
|
|
|
![]() |
Kammi
Or Nanda by Amrita Pritam HINDI Rs210
ISBN: 9788170164067 नन्दा यूनिवर्सिटी की बाहरी दीवार के पास पहुँची ही थी कि उसने देखा कि दीवार के साथ ढासना लगाकर खडी हुई एक औरत ने पैसे मांगने के लिए अपना हाथ आगे किया हुआ है— वह हाथ नन्दा की तरफ बढ़ता हुआ नन्दा की कमीज़ से छू गया... नन्दा ने उस माँगने वाली औरत की तरफ देखा—उस औरत का चेहरा उजड़ा हुआ था, बाल खुश्क और माथे पर बिखरे हुए थे, सिर पर एक लीर-सा दुपट्टा थाµपर आँखों में एक अजीब सी चमक और हसरत थी-नक्श रुले हुए थे, बुरे नहीं थे—वह हाथ के नन्दा के आगे पसारकर-एकटक नन्दा के मुँह को देखे जा रही थी… नन्दा उकताई-सी तेज कदमों से घर जाने वाली बस क्रो तरफ़ चल दी । लेकिन बस के पायदान पर एक पॉव रखा ही था कि अचानक नन्दा को खयाल आया— 'कौन जाने यह माँगने वाली औरत ही मेरी माँ हो... |
|
|
|
|
|
![]() |
Raseedi
Ticket by Amrita Pritam HINDI Rs200
ISBN: 9788170160663 |
|
|
|
|
|
![]() |
Ek
Thi Sara by Amrita Pritam HINDI Rs240
ISBN: 9788188125531 |
|
|
|
|
|
![]() |
Sapanon
Ki Neeli Si Lakeer by Amrita Pritam HINDI Rs240
ISBN: 9788170160922 एक वर्जित फल खाने पर 'आदम' और 'हव्वा' को जन्नत से निकाल दिया गया था । इस इतिहास को मैंने एक नज्म में लिखा : "एक शिला थी और एक पत्थर, जिन्होंने वर्जित फल खा लिया, और जब मैली जमीन पर वो पत्थरों की सेज पर सोये तो उन पत्थरों की टक्कर से आग की एक लपट-सी पैदा हुई--बदन में से आग का जन्म हो गया तो पत्थर भी कांप गया, शिला भी कांप गई । समाज की नजर का धुआं ही उनके पास था, उसी की घुट्टी उस आग को दे दी तो पवन की छाया हंसने लगी---फिर शिला और पत्थर धरती के हवाले हुए और आग की लपट पवन के हवाले और मैं आग की लपट-सी हैरान थी कि मेरे भीतर से यह सपनों के नीली-सी लकीर कहां से निकलती है" यह उस नीली-सी लकीर का तकाजा था कि मैं हर कल्पना को धरती पर उतार लेना चाहती थी--अपनी कलम से भी और अपने कर्म से भी । |
|
|
|
|
|
![]() |
Ratana
Aur Chetana by Amrita Pritam HINDI Rs240
ISBN: 9788170161851 |
|
|
|
|
|
![]() |
Varjit
Baag Ki Gatha by Amrita Pritam HINDI Rs240
ISBN: 9788170165798 |
|
|
|
|
|
![]() |
Mere
Saakshatkaar by Amrita Pritam HINDI Rs250
ISBN: 9788170162339 पंजाबी और भारत के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों में से एक, अमृता प्रीतम के साक्षात्कारों की यह किताब हमें उस अमृता से मिलाती है, जिसकी जात उसके ज़माने के हर दु:ख का आईना है । यह दु:ख चाहे निजी हो या दुनिया के किसी भी समाज में किसी भी इंसान का । यह भी ज़रूरी नहीं कि इसका संबंध उसके समय से हो । अत्याचार दूर कहीं अतीत में भी किसी के साथ हुआ हो, तो वह युगों और सदियों के फासले पर भी उसकी पीड़ा अपने भीतर महसूस करती है । इसी तरह अपने गम में उन्हें अपना साथी मानकर उनसे अपना दर्द बाँटती है । समकालीन साहित्यकारों के साथ, इतिहास के साथ, सूफियों के साथ अमृता ने जो बातचीत की है, उसमें समय या सोच का कोई फासला कहीं प्रतीत नहीं होता । यह किताब अमृता के जीवन के समस्त पहलुओं को अपने में समेटे हुए है । और आगाज़ से अंजाम तक अमृता के जीवन और सृजन का आईना बनकर अब आपके हाथों में है । |
|
|
|
|
|
![]() |
Agyaat
Ka Nimantran by Amrita Pritam HINDI Rs260
ISBN: 9788170162018 यह कौन-सी रात है जो मुझे दावत देने आई है आर सितारों के चावल फटककर यह टेग किसने राँधी है... आज यह चाँद की सुराही- कौन आया है! कि इस चाँदनी को पीकर आसमान बौरा गया है... जाने खुदा वह कौन-सो रात होती है जो किसी सपने का मस्तक चूम लेती है और फिर ख़यालों के पैरों में एक पायल., बजने लगती है... प्रेम भी ईश्वर की तरह अज्ञात का नाम है उसकी बात जितनी भर-- किसी संकेत में उतरती है वही संकेत इस पुस्तक के अक्षरों में है... |
|
|
|
|
|
![]() |
Man
Manthan Ki Gaatha by Amrita Pritam HINDI Rs275
ISBN: 9788170161684 कलम का कर्म अनेकरूप होता है--- वह बचकाना शौक में से निकले--- तो जोहड़ का पानी हो जाता है.... सिर्फ पैसे की कामना में से निकले--- तो नकली माल हो जाता है... सिर्फ शोहरत की लालसा में से निकले--- तो कला का कलंक हो जाता है... अगर बीमार मन में से निकले--- तो जहरीली आबोहवा हो जाता है... अगर किसी सरकार की खुशामद में से निकले- तो जाली सिंक्का हो जाता है… जो कुछ गलत है, वह सिर्फ एक लफ्ज में गलत है फिरकापरस्ती लफ्ज में ।उस गलत को उठाकर हम कभी इसे हिन्दू लफ्ज के कंधों पर रख देते हैं कभी सिक्ख लफ्ज के कंधों पर और कभी मुसलमान लफ्ज के कंधों पर इस तरह कंधे बदलने से कुछ नहीं होगा--- धर्म तो मन की अवस्था का नाम है उसकी जगह मन में होती है, मस्तक में होती है, और घर के आँगन में होती है लेकिन हम उसे मन-मस्तक से निकालकर और घर के आँगन से उठाकर--- बाजार में ले आये हैं... सुर्ख खून सड़कों पर बहता हुआ भी उतना ही भयानक होता है, जितना फिरकापरस्ती के ज़हर से काला खून किसी की रगों में चलता हुआ काया का जन्म माँ की कोख से होता है दिल का जन्म अहसास की कोख से होता है मस्तक का जन्म इल्म की कोख से होता है और जिस तहजीब की शाखाओं पर- अमन का बौर पड़ता है, उस तहजीब का जन्म अन्तर्चेतना की कोख से होता है । बात तो अपनी इसी धरती की होती है, लेकिन जब तक उसे एक टुकडा पाताल और एक टुकड़ा आसमान न मिले, बात बनती नहीं, और अमृता अपनी बात में एक टुकडा पाताल और एक टुकडा आसमान मिलाना जानती है । इसीलिए अमृता की तकरीरें वक्त का एक दस्तावेज है । |
|
|
|
|
|
![]() |
Kachche
Resham Si Larki by Amrita Pritam HINDI Rs300
ISBN: 9788170160380 मेरे लिए जिन्दगी एक बहुत लम्बी यात्रा का नाम है। जड़ से लेकर चेतन तक की यात्रा का नाम। अक्षर से लेकर अर्थ तक की यात्रा का नाम। और हकीकत जो है - वहां से लेकर हकीकत होनी चाहिए - उसकी कल्पना और उसमें एतक़ाद रख पाने की यात्रा का नाम। इस लिए कह सकती हूँ कि मेरी कहानियों में जो भी किरदार हैं वह सभी किरदार जिन्दगी से लिए हुए हैं। लेकिन वह लोग - जो यथार्थ और यथार्थ का फासला तय करना जानते हैं |
|
|
|
|
|
![]() |
Dr K Chaudhry
B-1/104 Paschim Vihar, New Delhi-110063 +91-9810570740 http://ukmall.net/doctorkc |